Abstract
हिंदी दलित साहित्य में स्त्री विमर्श एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में उभरकर सामने आया है। यह विमर्श केवल स्त्री की शोषण की पीड़ा को नहीं, बल्कि उसकी सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मुक्ति की आकांक्षा को भी दर्शाता है। यह शोध पत्र दलित स्त्री साहित्य में निहित वर्ग, जाति और लिंग के त्रैतीय शोषण की पड़ताल करता है और प्रमुख रचनाकारों जैसे बाबूराव बागुल, कौशल पंवार, कुमुद पवार, सुशीला टाकभौरे, और श्यामलाल जैसे लेखकों की रचनाओं के माध्यम से स्त्री की चेतना को सामने लाने का प्रयास करता है।
References
टाकभौरे, सुशीला. शिकंजे का दर्द
पंवार, कौशल. अनहद नाद
पवार, कुमुद. मुलाक़ातें
कांबले, शरण कुमार लिंबाळे. दलित साहित्य का सौंदर्यशास्त्र
अंबेडकर, डॉ. भीमराव। जाति का उच्छेदन
उमराव, पिंकी. "दलित स्त्री विमर्श और आत्मकथाएँ", शोध-पत्रिका, 2021।

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