हिंदी उपन्यासों में स्त्री की बदलती भूमिका: एक तुलनात्मक अध्ययन
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Keywords

प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, शिवानी, मन्नू भंडारी, महादेवी वर्मा, मृदुला गर्ग, ममता कालिया, और मंजुला पद्मनाभन
स्त्री की बदलती भूमिका

How to Cite

Dr. Bimal Malik. (2025). हिंदी उपन्यासों में स्त्री की बदलती भूमिका: एक तुलनात्मक अध्ययन. Shodh Sagar Journal of Language, Arts, Culture and Film, 2(1), 25–28. https://doi.org/10.36676/jlacf.v2.i1.34

Abstract

हिंदी उपन्यासों में स्त्री पात्रों की भूमिका समय के साथ उल्लेखनीय रूप से परिवर्तित हुई है। प्रारंभिक उपन्यासों में जहाँ स्त्री की छवि एक संस्कारित, त्यागमयी और पारिवारिक दायित्वों तक सीमित नायिका के रूप में प्रस्तुत होती थी, वहीं आधुनिक उपन्यासों में वह एक स्वतंत्र विचारों वाली, आत्मनिर्भर, संघर्षशील और सामाजिक परिवर्तन की वाहक के रूप में उभरती है।

इस तुलनात्मक अध्ययन में प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, शिवानी, मन्नू भंडारी, महादेवी वर्मा, मृदुला गर्ग, ममता कालिया, और मंजुला पद्मनाभन जैसी लेखिकाओं और लेखकों के उपन्यासों को केंद्र में रखकर यह विश्लेषण किया गया है कि स्त्री पात्रों की भूमिकाएं सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बदलावों के प्रभाव से कैसे विकसित हुईं।

https://doi.org/10.36676/jlacf.v2.i1.34
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References

प्रेमचंद – गबन

मन्नू भंडारी – आपका बंटी

धर्मवीर भारती – गुनाहों का देवता

ममता कालिया – दौड़

मृदुला गर्ग – चित्तकोबरा

महादेवी वर्मा – श्रृंखला की कड़ियाँ

निर्मला जैन – हिंदी साहित्य में नारी विमर्श

सुधा अरोड़ा – आधुनिक हिंदी कहानियों में स्त्री चेतना

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